संदेश

सितंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रेग्नेंसी में सौंफ खाने के फायदे

चित्र
  प्रेगनेंसी में सौंफ खाने के फायदे आमतौर पर सौंफ का उपयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता है। इसके अलावा, भारतीय रसोई में सौंफ का उपयोग मसाले के रूप में भी किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि आपके किचन की यह छोटी-सी चीज आपको सेहतमंद बनाए रखने में कितनी बड़ी भूमिका निभाती है? कभी सोचा है कि सौंफ खाने के फायदे कितने हैं? अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं।  सौंफ का वैज्ञानिक नाम फॉनिक्युल वल्गारे (Foeniculum vulgare) है। यह पाचन संबंधी समस्याओं से लेकर आंखों की रोशनी बढ़ाने, वजन कम करने और अन्य समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित होती है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम सौंफ के फायदे बताएंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि सौंफ आपकी सेहत को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने में किस प्रकार से सहायता करती है।  पाचन के लिए सौंफ के फायदे सौंफ का उपयोग सबसे अधिक पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। इसके एंटीस्पास्मोडिक (पेट और आंत में ऐंठन दूर करने वाली दवाई) और कार्मिनेटिव (एक तरह की दवा, जो पेट फूलने या गैस बनने से रोकती है) गुण इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी पेट की गंभीर समस्याओं से छुटकार

चुकंदर से पाए सेहत और बंपर मुनाफा

चित्र
  चुकंदर की खेती   चुकंदर एक ऐसा   फल  है, जिसका सेवन  सब्जी  के रूप में पकाकर या बिना पकाये ऐसे भी किया जा सकता है | चुकंदर को मीठी सब्जी भी कह सकते है, क्योकि इसका स्वाद खाने में हल्का मीठा होता है | इसके फल जमीन के अंदर पाए जाते है, तथा चुकंदर के पत्तो को भी सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते है | चुकंदर में अनेक प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते है, जो मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक होते है |डॉक्टर भी खून की कमी, अपच, कब्ज, एनीमिया, कैंसर, हृदय रोग, पित्ताशय विकारों, बवासीर और गुर्दे के विकारों को दूर करने के लिए चुकंदर का सेवन करने की सलाह देते है | चुकंदर को सलाद, जूस और सब्जी के रूप में उपयोग करते है| चुकंदर की बहुत अधिक मांग होती है, जिस वजह से  किसान  भाई चुकंदर की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते है |  चुकंदर की खेती कैसे होती है (Beetroot Farming in Hindi)  इसके बारे में जानकारी के बाद ही लाभ प्राप्त कर सकते है ,  इसके अलावा  चुकंदर की उन्नत किस्में कौन सी है,  इसे जानकर आप अच्छी पैदावार भी कर पाएंगे | चुकंदर की खेती के लिए उपयुक्त मिटटी चुकंदर की खेती को करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी की आ

कम लागत से करे खीरे की खेती और कमाए मुनाफा

चित्र
 खीरे की खेती भारत में खीरा एक महत्वपूर्ण और फायदेमंद कृषि फसल है, जो पूरे देश में उगाया जाता है। हालाँकि पहले लोगों ने सोचा था कि खीरे की खेती केवल गर्मियों में ही संभव है, आज की तकनीक और जलवायु बदलते मौसम ने दिखाया है कि वर्षा, शीतकाल और बसंत-ग्रीष्म जैसे समय पर भी खीरे की खेती की जा सकती है। खेत में खीरे को उगाने का सही समय चुनना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। खीरे की वैज्ञानिक खेती में इसे 60 से 80 दिनों में जीवनकाल पूरा होता है, इसलिए इसे “छोटी फसल” कहा जाता है। यह खासकर उन किसानों के लिए अच्छा है जो जल्दी उत्पादन करके अपना निवेश वापस करना चाहते हैं। खीरा खाने में स्वादिष्ट होता है और बहुत पौष्टिक है। इसमें प्रोटीन, विटामिन C, आयरन और कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो पाचन शक्ति को बढ़ाते हैं। खेत में इस समय पर्याप्त पानी होता है, इसलिए खीरे की फसल अधिक प्राप्त होती है, विशेष रूप से वर्षा ऋतु में। इसलिए, खीरे की खेती के लिए यह समय सबसे अच्छा रहता है और किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है। खीरे की खेती में सफलता पाने के लिए समयबद्ध

कम पानी में भी पाइनएप्पल की खेती से करे बंपर कमाई

चित्र
  आजकल किसानों का ध्यान परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती की ओर केंद्रित हो रहा है. आधुनिक खेती के दौर में किसान अब बाजार की मांग को ध्यान में रखकर मुनाफा देने वाली चीजों की खेती करने लगे हैं. इसी के साथ किसान फल और सब्जियों की खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं. यदि फलों की बात करें तो किसान फलों में अनानास की खेती करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.  इसकी खेती पूरे बारह महीने की जा सकती है और इसकी मांग भी बाजार में पूरे बारह महीने बनी रहती है.  ऐसे में ये हर तरह से फायदे का सौदा है.   भारत में कहां-कहां होती है अनानास की खेती भारत में मुख्य रूप से केरल, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, असम और मिजोरम में अनानास उगाया जाता है. अब बिहार और उत्तर प्रदेश के किसान भी इसका उत्पादन करने लगे हैं.  कुछ राज्यों में इसकी खेती 12 महीने की जाती है. अनानास के लिए उपयुक्त जलवायु अनानास की खेती के लिए नम जलवायु की आवश्यकता होती है.  इसकी खेती के लिए अधिक बारिश की जरूरत होती है.  इसमें ज्यादा गर्मी और पाला सहने की क्षमता नहीं होती है.  इसके लिए 22 से 32 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है. अनानास के लिए उप

काले तिल की की खेती होगी बंपर कमाई

चित्र
  तिल एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। मानसून के अलावा, वे गर्मियों और अर्ध-सर्दियों के मौसम में भी लगाए जाते हैं। इस फसल को गुजरात और खासकर सौराष्ट्र में गर्मियों के मौसम में सफलतापूर्वक किया जा सकता है। ग्रीष्मकालीन तिल की खेती को ध्यान में रखने के लिए महत्वपूर्ण चीजें निम्नानुसार हैं आमतौर पर तिल की खेती को मुनाफ़े का सौदा नहीं माना जाता है, क्योंकि इसमें पैदावार कम होती है, लेकिन तिल की खेती यदि उन्नत तरीके से की जाए तो यह किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। उन्नत किस्म के बीजों के साथ गर्मियों के मौसम में तिल की खेती करना अच्छा रहेगा, क्योंकि यह मौसम तिल के लिए उपयुक्त होता है। कॉपर, मैंगनीज और कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, लोहा, जिंक, मोलिब्डेनम, विटामिन बी 1, सेलेनियम और डायट्री फाइबर से भरपूर तिल की खेती पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में की जाती है। वैसे तो साल में इसकी तीन फसलें प्राप्त की जाती हैं, मगर गर्मियों में तिल की खेती करना अच्छा विकल्प है, क्योंकि इस मौसम में अधिक पैदावार प्राप्त होती है

जयपुर में घूमने की जगह

चित्र
  Why Jaipur Known As Pink City:  भारत (India) में घूमने के लिए बहुत सी खूबसूरत और मन को भाने वाली जगह हैं। यही कारण है कि देश ही नहीं, दुनियाभर से लोग यहां घूमने आते हैं। यहां न सिर्फ कई सारी शानदार घूमने वाली जगह हैं, बल्कि देश का खानपान और पहनावा भी लोगों के बीच काफी मशहूर है। यहां हर राज्य की सीमा बदलते ही संस्कृति और परंपरा भी बदल जाती है। भारत की संस्कृति को करीब से देखने के लिए राजस्थान एक बहुत ही बेहतरीन जगह है, यहां का शाही अंदाज और परंपरा लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। राजस्थान में न सिर्फ आपको ऐतिहासिक धरोहर देखने को मिलेगी, बल्कि आप यहां स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं। बता दें कि राजस्थान में घूमने के लिए पिंक सिटी यानी जयपुर बहुत ही बेहतरीन जगह है, लेकिन अहम सवाल ये है कि जयपुर को पिंक सिटी क्यों कहा जाता है। हालांकि, बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि जयपुर के पिंक सिटी होने के पीछे एक ऐतिहासिक कहानी है। आइये जानें, जयपुर के पिंक सिटी बनने का इतिहास क्या है। जानिये जयपुर शहर का इतिहास बता दें कि कछवाहा वंश के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18 नवंबर, 1927 में जयपुर को