गेंदे की खेती होगी ताबड़तोड़ कमाई

 


गेंदे की खेती केसे करे

यह भारत में आम उगाया जाने वाला फूल है। यह बहुत महत्तवपूर्ण फूल है क्योंकि यह व्यापक रूप से धार्मिक और सामाजिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है। कीटों को पकड़ने के लिए भी इस फसल का प्रयोग किया जाता है। कम समय के साथ कम लागत की फसल होने के कारण यह भारत की लोकप्रिय फसल बन जाती है। गेंदे के फूल आकार और रंग में आकर्षित होते हैं। इसकी खेती आसान होने के कारण इसे व्यापक रूप से अपनाया जाता है। आकार और रंग के आधार पर इसकी दो किस्में होती हैं- अफ्रीकी गेंदा और फ्रैंच गेंदा। फ्रैंच गेंदे की किस्म का पौधा अफ्रीकी गेंदे के आकार से छोटा होता है। महांराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्रा प्रदेश, तामिलनाडू और मध्य प्रदेश भारत के मुख्य गेंदा उत्पादक राज्य है। दशहरा और दीवाली मुख्य दो त्योहार हैं, जब इस फसल की मांग अधिक होती है


तापमान  25 -35°


वर्षा  100-150cm

भूमि

इसे मिट्टी की व्यापक किस्मों में उगाया जा सकता है पर यह अच्छे जल निकास वाली उपजाऊ मिट्टी में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। मिट्टी अच्छे निकास वाली होनी चाहिए क्योंकि यह फसल जल जमाव वाली मिट्टी में स्थिर नहीं रह सकती। मिट्टी की pH 6.5 से 7.5 होनी चाहिए। तेजाबी और खारी मिट्टी इसकी खेती के लिए अनुकूल नहीं है। फ्रैंच गेंदे की किस्म हल्की मिट्टी में अच्छी वृद्धि करती है। जबकि अफ्रीकी गेंदे की किस्म उच्च जैविक खाद वाली मिट्टी में अच्छी वृद्धि करती है

प्रसिद्ध किस्में

African Marigold:  इस किस्म की फसल 90 सैं.मी. तक लम्बी होती है। इसके फूल बड़े आकार के और लैमन, पीले, सुनहरे, संतरी और गहरे पीले रंग के होते हैं। यह लम्बे समय की किस्म है। इसकी अन्य किस्में जैसे Giant Double African Orange, Crown of Gold, Giant Double African Yellow, Chrysanthemum Charm, Golden Age, Cracker Jack  आदि हैं।

French Marigold:  यह छोटे कद की जल्दी पकने वाली किस्में हैं। इसके फूल छोटे आकार के और पीले, संतरी, सुनहरे पीले, लाल जंग और महोगनी रंग के होते हैं। इसकी अन्य किस्में जैसे Rusty Red, Butter Scotch, Red Borcade, Star of India, Lemon drop आदि हैं।

Pusa Basanti Gainda: यह लम्बे समय की किस्म है। इसका पौधा 58.80 सैं.मी. लम्बा और गहरे हरे रंग के पत्ते होते हैं। इसके फूल सल्फर पीले, दोहरे और कारनेशन किस्म के होते हैं।

Pusa Narangi Gainda: फूल निकलने के लिए 125-136 दिनों की आवश्यकता होती है। इसका पौधा लम्बा और कद में 73.30 सैं.मी. का होता है और पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं। इसके फूल संतरी रंग के और कारनेशन किस्म के होते हैं फूल घने और दोहरी परत वाले होते हैं। इसके ताजे फूलों की पैदावार 140 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।


बिजाई का समय
गेंदे की बिजाई एक वर्ष में कभी भी की जा सकती है। बारिश के मौसम में इसकी बिजाई मध्य जून से मध्य जुलाई में करें। सर्दियों में इसकी बिजाई मध्य सितंबर से मध्य अक्तूबर में पूरी कर लें।

फासला

नर्सरी बैड 3x1 मीटर आकार के तैयार करें। गाय का गला हुआ गोबर मिलायें। बैडों में नमी बनाए रखने के लिए पानी दें। सूखे फूलों का चूरा करें और उनका कतार या बैड पर छिड़काव करें। जब पौधों का कद 10-15 सैं.मी. हो जाये, तब वे रोपाई के लिए तैयार होते हैं। फैंच किस्म को 35x35 सैं.मी. और अफ्रीकी किस्म को 45x45 सैं.मी. के फासले पर रोपाई करें।

बीज की गहराई
नर्सरी बैड पर बीजों का छिड़काव करें।

बिजाई का ढंग
बिजाई के लिए पनीरी ढंग का प्रयोग किया जाता है।

गेंदा फूल की खेती में उर्वरक का उपयोग

अफ्रीकी और फ्रेंच किस्मों के लिए खाद 25 से 30 मई. प्रति हेक्टेयर 100 किग्रा एन, 200 किग्रा पी तथा 200 किग्रा के उर्वरक देना चाहिए .यदि संकर किस्मों की खेती करनी है तो रोपण से पहले मिट्टी में 250 किग्रा एन/हेक्टेयर और 400 किग्रा पी/हेक्टेयर डालें.


पिंचिंग

रोपाई के 30-40 दिन के अन्दर पौधे की मुख्य शाकीय कली को तोड़ देना चाहिए। इस क्रिया से यद्यपि फूल थोड़ा देर से आयेंगे, परन्तु प्रति पौधा फूल की संख्या एवं ऊपज  में वृद्धि होती है। निकाई-गुड़ाई लगभग 15-20 दिन पर आवश्यकतानुसार निकाई-गुड़ाई करनी चाहिए। इससे भूमि में हवा का संचार ठीक संग से होता है एवं वांछित खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। रोपाई के 60 से 70 दिन पर गेंदा में फूल आता है जो 90 से 100 दिनों तक आता रहता है। अतः फूल की तोड़ाई साधारणतया सायंकाल में की जाती है। फूल को थोड़ा डंठल के साथ तोड़ना श्रेयस्कर होता है। फूल का कार्टून जिसमें चारों तरफ एवं नीचे में अखबार फैलाकर रखना चाहिए एवं ऊपर से फिर अखबार से ढँक कर कार्टून बन्द करना चाहिए।

कीड़े और बीमारी

लीफ हापर, रेड स्पाइडर, इसे काफी नुकसान पहुँचाते हैं। इसके रोकथाम के लिए मैलाथियान 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें।

गेंदा में मोजेक, चूर्णी फफूद एवं फूटराट मुख्य रूप से लगता है। मोजेक लगे पौधे को उखाड़कर मिट्टी तले दबा दें एवं गेंदा में कीटनाशक दवा का छिड़काव करें जिससे मोजेक के विषाणु स्थानान्तरित करने वाले कीट का नियंत्रण हो इसका विस्तार एवं दूसरे पौधे में न हो। चूर्णी फफूद के नियंत्रण है तो 0.2 प्रतिशत गंधक का छिड़काव करें एवं फुटराट के नियंत्रण है तो इण्डोफिल एम-45 0.25 प्रतिशत का 2-3 बार छिड़काव करें।

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