म्हारो राजस्थान
राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है।सर्वप्रथम 1800 ई मे जार्ज थामस ने इस प्रांत को राजपूताना नाम दिया। प्रसिद्ध इतिहासकार जेम्स टाड ने "एनलस एंड एन्टीक्वीटीज आफ राजस्थान"[7] में इस राज्य का नाम रायथान या राजस्थान रखा। इस राज्य की एक अंतरराष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान के साथ 1070 km जिसे रेड क्लिफ रेखा के नाम से जानते है, तथा 4850 km अंतर्राज्यीय सीमा जो देश के अन्य पाँच राज्यों से भी जुड़ा है।इसके दक्षिण-पश्चिम में गुजरात[8], दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132140 वर्ग मील) है। 2011 गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.1 % हैं।
राज्य की राजधानी जयपुर हैं। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात देलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। राजस्थान में तीन(रामगढ़ विषधारी के जुड़ने के बाद चार )बाघ अभयारण्य, मुकंदरा हिल्स[9], रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। राजस्थान का सबसे नया संभाग भरतपुर है। राजस्थान का सबसे छोटा जिला क्षेत्रफल की दृष्टि से दुदू है, धौलपुर का क्षेत्रफाल 3034 वर्ग किमी है ।और सबसे बड़ा जिला जैसलमेर हैं। जिसका क्षेत्रफल 38401 वर्ग किमी. है ।भारत का सबसे गर्म स्थान फलोदी जोधपुर है । फलोदी में सौर ऊर्जा संयंत्र बहुत ज्यादा स्थापित हो रहे है । वर्तमान में राजस्थान में 50 जिले और 10 संभाग बनाएं गए है । [10]
इतिहास
प्राचीन काल में राजस्थान
प्राचीन समय में राजस्थान में आदिवासी कबीलों का शासन था। 2500 ईसा पूर्व से पहले राजस्थान बसा हुआ था और उत्तरी राजस्थान में सिंधु घाटी सभ्यता की नींव रखी थी। भील और मीना जनजाति इस क्षेत्र में रहने के लिए सबसे पहले आए थे। संसार के प्राचीनतम साहित्य में अपना स्थान रखने वाले आर्यों के धर्मग्रंथ ऋग्वेद में मत्स्य जनपद का उल्लेख आया है, जो कि वर्तमान राजस्थान के स्थान पर अवस्थित था। महाभारत कथा में भी मत्स्य नरेश विराट का उल्लेख आता है, जहाँ पांडवों ने अज्ञातवास बिताया था। करीब 13 वी शताब्दी के पूर्व तक पूर्वी राजस्थान और हाड़ौती पर मीणा तथा दक्षिण राजस्थान पर भील राजाओं का शासन था [11] उसके बाद मध्यकाल में राजपूत जाति के विभिन्न वंशों ने इस राज्य के विविध भागों पर अपना BANAYA, तो उन भागों का नामकरण अपने-अपने वंश, क्षेत्र की प्रमुख बोली अथवा स्थान के अनुरूप कर दिया। ये राज्य थे- चित्तौडगढ, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, जोधपुर, बीकानेर, किशनगढ़, (जालोर) सिरोही, कोटा, बूंदी, जयपुर, अलवर, करौली, झालावाड़ , मेरवाड़ा और टोंक(मुस्लिम पिण्डारी) राजा महाराणा प्रतापऔर महाराणा सांगा,महाराजा सूरजमल, महाराजा जवाहर सिंह, वीर तेजाजी अपनी असाधारण राज्यभक्ति और शौर्य के लिये जाने जाते थे। पन्ना धाय जैसी बलिदानी माता, मीरां जैसी जोगिन यहां की एक बड़ी शान है।कर्मा बाई जैसी भक्तणी जिसने भगवान जगन नाथ जी को हाथों से खीचड़ा (खिचड़ी) खिलाया था। इन राज्यों के नामों के साथ-साथ इनके कुछ भू-भागों को स्थानीय एवं भौगोलिक विशेषताओं के परिचायक नामों से भी पुकारा जाता रहा है। पर तथ्य यह है कि राजस्थान के अधिकांश तत्कालीन क्षेत्रों के नाम वहां बोली जाने वाली प्रमुखतम बोलियों पर ही रखे गए थे। उदाहरणार्थ ढ़ूंढ़ाडी-बोली के इलाकों को ढ़ूंढ़ाड़ (जयपुर) कहते हैं। 'मेवाती' बोली वाले निकटवर्ती भू-भाग अलवर को 'मेवात', उदयपुर क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली 'मेवाड़ी' के कारण उदयपुर को मेवाड़, ब्रजभाषा-बाहुल्य क्षेत्र को 'ब्रज', 'मारवाड़ी' बोली के कारण बीकानेर-जोधपुर इलाके को 'मारवाड़' और 'वागडी' बोली पर ही डूंगरपुर-बांसवाडा आदि को 'वागड' कहा जाता रहा है। डूंगरपुर तथा उदयपुर के दक्षिणी भाग में प्राचीन 56 गांवों के समूह को "छप्पन" नाम से जानते हैं। माही नदी के तटीय भू-भाग को 'कोयल' तथा अजमेर-मेरवाड़ा के पास वाले कुछ पठारी भाग को 'उपरमाल' की संज्ञा दी गई है।[12] जरगा और रागा के पहाड़ी भाग हमेशा हरे भरे रहते हैं इसलिए इसे देशहरो कहते है। [13]
राजस्थानी संस्कृति और खान पान
राजस्थान, भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। यहां की संस्कृति दुनिया भर में मशहूर है। राजस्थान की संस्कृति विभिन्न समुदायों और शासकों का योगदान है। आज भी जब कभी राजस्थान का नाम लिया जाए तो हमारी आखों के आगे थार रेगिस्तान, ऊंट की सवारी, घूमर और कालबेलिया नृत्य और रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधान आते हैं।अपने सभ्य स्वभाव और शालीन मेहमाननवाज़ी के लिए जाना जाता है ये राज्य। चाहे स्वदेशी हो या विदेशी, यहां की संस्कृति तो किसी का भी मन चुटकियों में मोह लेगी। आखिर किसका मन नहीं करेगा रात के वक्त रेगिस्तान में आग जलाकर कालबेलिया नृत्य देखने का। जिन्होनें राजस्थान की संस्कृति का अनुभव किया है वो बहुत खुश नसीब हैं। लेकिन जो इससे अंजान हैं उन्हें हम बताएंगे इस शाही शहर की सरल लेकिन आकर्षक संस्कृति के बारे में कुछ ऐसी दिलचस्प बातें जिन्हें जानने के बाद यहां आने के लिए खुद को रोक नहीं पाएंगे।
राजस्थान का फेमस वेजिटेरियन खाना – Vegetarian food of Rajasthan In Hindi
यहां राजस्थान के 20 सबसे प्रतिष्ठित भोजन की सूची दी गई है जिन्हें आपको अवश्य आज़माना चाहिए:
1. दाल बाटी चूरमा - राजस्थान का पारंपरिक भोजन

2. मोहन थाल

3. लाल मास

मांसाहारी थाली के सबसे आम हिस्सों में से एक, लाल मास का रंग तीखी लाल मिर्च के कारण होता है। मांस को टमाटर, मिर्च और गर्म मसालों की गर्म ग्रेवी में पकाया जाता है। अगली बार जब आप इस जीवंत राज्य का दौरा करें तो राजस्थान के इस तीखे लेकिन स्वादिष्ट भोजन को देखना न भूलें।
4. मावा कचोरी

5. मिर्ची बड़ा

6. मोहन मास

7. कलाकंद

8. प्याज़ की कचोरी

9. गट्टे - राजस्थान का प्रसिद्ध भोजन

10. कढ़ी

11. जलजीरा

12. मसाला-छाछ

13. बाजरे की राब

14. घेवर

15. मूंग की दाल का हलवा

16. मालपुआ

17. कचरी, इमली, लहसुन और टमाटर जैसी चटनी

18. बाजरे की रोटी लहसुन की चटनी के साथ

19. चूरमा लड्डू
चूरमा लड्डू एक प्रसिद्ध राजस्थानी भोजन है और गुजरात में भी लोकप्रिय है। गेहूं का आटा, गुड़ और देसी घी का मिश्रण इस स्वादिष्ट व्यंजन को बनाता है। इसे कुछ खसखस के दानों से सजाएँ और लीजिए! गणेश चतुर्थी के अवसर पर सबसे लोकप्रिय रूप से बनाया जाने वाला चूरमा लड्डू भी हर भोजन के लिए एक आवश्यक मिठाई है।
20. बालूशाही

मुझे यकीन है कि अगर आप दक्षिण भारतीय हैं तो आपने बालूशाही के बारे में जरूर सुना होगा? वैसे तो उत्तर भारत में बालूशाही नाम है. यह बिना छेद वाले चमकदार डोनट्स जैसा दिखता है। नरम, मीठी और स्वादिष्ट मिठाई आपको मदहोश कर देती है, और यह सरल सैकरीन व्यंजनों में से एक है जिसे परेशानी मुक्त बनाया जा सकता है।
21. केर सांगरी - केर-सांगरी रो साग
केर सांगारी एक ऐसा व्यंजन है जिसकी जड़ें राजस्थान में हैं। थार रेगिस्तान के मध्य में उगने वाली एक जंगली बेरी - केर, को सूखी जंगली फलियों - सांगारी के साथ मिलाकर एक प्रामाणिक मसालेदार लेकिन तीखी राजस्थानी सब्जी बनाई जाती है। यह दिखने में भले ही आकर्षक न हो, लेकिन मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि आपके मुंह का हर स्वाद एक अलग कहानी कह रहा होगा। स्थानीय जड़ी-बूटियों और मसालों के साथ मिश्रित, केर सांगरी रो सांग का स्वाद स्वादिष्ट बाजरे की रोटी के साथ, ऊपर से पिघला हुआ मक्खन (सफ़ेद मक्खन) डालकर लिया जा सकता है।
22. बूंदी रायता
प्रत्येक राजस्थानी भोजन को उसके स्वाद और मसालों में जंगलीपन के कारण एक स्टेबलाइज़र की आवश्यकता होती है। इसलिए हर बार पानी का एक घूंट पीने के बजाय, ताज़ा बूंदी रायता का एक चम्मच भर लें। छोटे तले हुए चने के आटे के गोले का एक स्वादिष्ट, स्वस्थ मिश्रण, जिसे बूंदी कहा जाता है, दही और ताज़े पुदीने की प्रचुरता से भिगोकर आपको सभी राजस्थानी व्यंजनों का स्वाद दूसरे स्तर पर ले जाएगा! इसे साइड डिश के रूप में ठंडा परोसा जाता है।
23. बादाम का हलवा

मीठे के सभी शौकीनों के लिए, अब समय आ गया है कि आप अपने स्वाद को राजस्थान की मशहूर मिठाई बादाम का हलवा की समृद्धि से सराबोर कर लें। भीगे हुए बादामों के शाही स्पर्श से बना, पीसकर और देसी घी की सुंदरता में भूनकर बनाया गया यह व्यंजन आपको एक और गर्मागर्म परोसने के लिए मजबूर कर देगा। यह बेहद लत लगाने वाला है. और स्वस्थ भी!
24. आम की लौंजी - कच्चे आम की लौंजी

क्या आप अपने भारतीय व्यंजनों में अचार के अलावा कुछ और चाहते हैं? उस मामले में कच्चे आम की लौंगी आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है! मीठी और खट्टी राजस्थानी चटनी/अचार का यह अनोखा संयोजन मसालेदार कच्चे आमों को सुगंधित मसालों और चीनी में पकाकर तैयार किया जाता है, ताकि आपके सभी पराठों के लिए एकदम सही साइडकिक बनाया जा सके! इसका स्वाद किसी भी भारतीय सब्जी के साथ लिया जा सकता है, जो पूरे भोजन को एक अतिरिक्त स्वाद देता है।
25. मेथी बाजरा पुरी

सर्दियों में गर्मागर्म स्नैक्स किसे पसंद नहीं होंगे? राजस्थानी का पारंपरिक भोजन जो ज्यादातर सर्दियों के दौरान खाया जाता है, मेथी बाजरा पुरी एक गहरी तली हुई फूली हुई रोटी है, जो बाजरे (मोती बाजरा का आटा) और ताजा मेथी (मेथी के पत्तों) की अच्छाइयों से बनाई जाती है। बाजरा इस स्वस्थ, हल्के फुले हुए आनंद को एक कुरकुरा चरित्र प्रदान करता है, जिससे यह कंबल के अंदर बैठकर खाने के लिए एक आदर्श नाश्ता बन जाता है। इसका स्वाद करी/सब्जी के साथ भी लिया जा सकता है, जिससे यह एक संपूर्ण स्वादिष्ट भोजन बन जाता है।
26. गुझिया
गुजिया आनंद से भरपूर एक स्वादिष्ट मिठाई है जो होली या दिवाली के त्योहार के दौरान हर जगह पाई जा सकती है। मुंह में घुल जाने वाले मीठे खोया (दूध के ठोस पदार्थ, जिसे मावा भी कहा जाता है) और कुचले हुए सूखे मेवों की कोमलता से तैयार गुजिया को सूजी (सूजी) या मैदा (मैदा) से बने छोटे-छोटे पकौड़ों में ढाला जाता है, और इसमें मिलाने के लिए डीप फ्राई किया जाता है। कुरकुरापन का तत्व, जो इसे भव्य भारतीय त्योहारों का जश्न मनाते समय आनंद लेने के लिए एक राजस्थानी व्यंजन बनाता
राजस्थान के लोक नृत्य
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