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बागवानी से कमाए मुनाफा

 

बागवानीबागवानी एक ऐसा क्षेत्र है जो फलों, सब्जियों, फूलों, मसालों और मशरूम की खेती से संबंधित है। हरियाणा राज्य में उपरोक्त फसलों के समग्र विकास के विचार को ध्यान में रखते हुए, हरियाणा सरकार ने 1990- 91 में कृषि विभाग के मौजूदा विभाग से बागवानी विभाग का विभाजन किया था। चूंकि, बागवानी विभाग, हरियाणा राज्य के बागवानी संस्थानों को विभिन्न बहुमूल्य जानकारी, प्रोत्साहन और मार्गदर्शन प्रदान करने के माध्यम से राज्य में फलों, सब्जियों, फूलों, मसालों और मशरूम की खेती के समग्र विकास के लिए अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। ब्लॉक स्तर और जिला स्तर पर तैनात अपने विस्तार व्यक्तियों के माध्यम से विभाग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी ब्लॉक स्तर पर बागवानी विकास अधिकारियों, जिला स्तर पर जिला बागवानी अधिकारी और राज्य स्तर पर बागवानी निदेशालय से संपर्क करके प्राप्त की जा सकती है।

वर्तमान में मैक्रो प्रबंधन मोड के अंतर्गत राज्य में उत्पादकों के लाभ के लिए विभाग द्वारा निम्नलिखित विकास योजनाएं चल रही हैं।

उष्णकटिबंधीय, तापमान और उबरे क्षेत्र के फलों के समन्वित विकास के लिए योजना

  1. क्षेत्रीय विस्तार इस योजना के तहत भारत सरकार द्वारा समय-समय पर दिशानिर्देशों के अनुसार फल फसलों की खेती के लिए सामग्री और अन्य निविष्टियां लगाए जाने के लिए निशुल्क सहायता उपलब्ध है।
  2. प्राइवेट रजिस्टर के सुदृढ़ीकरण नर्सरी योजना इस योजना के अंतर्गत नर्सरी पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत राज्य में चल रहे निजी पंजीकृत नर्सरी को मजबूत बनाने के लिए सहायता का प्रावधान है।
  3. कीट और बीमारियों के एकीकृत प्रबंधन की योजनाएं विभिन्न प्रकार के पौधों के संरक्षण उपकरण जैसे नाप-बोरी, गतूर और कीटों, कीटों और रोगों के नियंत्रण के लिए मैन्युअल रूप से संचालित स्प्रे पंप जैसे विभिन्न प्रकार की सहायता पर प्रावधान है।
  4. सुधारित बागवानी उपकरण के लोकप्रियीकरण के लिए योजना इस योजना के तहत बागवानी उपकरणों में सुधार के लिए बागवानी उपकरणों की खरीद के लिए सहायता का एक प्रावधान है, जैसे कि स्काटियर, छंटाई, खुरपीस, पेड़ के टुकड़े और हुकुम आदि जैसे उपकरण। उत्पादकों द्वारा खरीदा गया या विभाग द्वारा भी आपूर्ति की जा सकती है।
  5. किसानों का प्रशिक्षण इस योजना के तहत बागवानी प्रशिक्षण संस्थान, उचानी, करनाल में समय समय पर बागवानी विकास प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं पर 25 किसानों के शामिल बैचों में प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। प्रशिक्षण की अवधि 3 से 5 दिनों तक होती है इच्छुक किसान अपने ब्लॉक / जिले के संबंधित बागवानी विकास अधिकारी / जिला बागवानी अधिकारी से इस तरह के प्रशिक्षण के लिए उनके नाम पर विचार कर सकते हैं।

हाइब्रिड सब्ज़ी बीज के उत्पादन में सुधार के लिए योजना

जैसा कि हाइब्रिड सब्जियों के बीज बहुत महंगा हैं और सामान्य किसानों की पहुंच से परे है, इसलिए ऊपर दिए गए शीर्षक के तहत एक योजना को हाइब्रिड बीज के उपयोग को लोकप्रिय बनाने की योजना बनाई गई है। सहायता के लिए न्यूनतम और अधिकतम पात्र क्षेत्र आधी से चार हेक्टेयर होगा

औषधीय और सुगंधित पौधों के विकास के लिए योजना

इस योजना के तहत औषधि और सुगंधित पौधों के पौधों और सामग्री के पौधों को लगाए जाने पर 0.5 हेक्टेयर के प्रदर्शन प्लांट पर सहायता दी जाएगी।

बागवानी में प्लास्टिक के उपयोग के प्रचार के लिए योजना

  1. ड्रिप सिंचाई सिंचाई के पानी की कमी को ध्यान में रखते हुए और नमी के संरक्षण के लिए, किसानों को ड्रिप सिंचाई प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार इस योजना के तहत उत्पादकों द्वारा ड्रिप सिंचाई उपकरणों की खरीद के लिए सहायता / सब्सिडी का प्रावधान है।
  2. ग्रीन हाऊस की स्थापना नियंत्रित परिस्थितियों में ऑफ-सीजन रोपण और सब्जी नर्सरी बढ़ाने के लिए ग्रीन हाऊस की स्थापना आवश्यक है। इस योजना के अंतर्गत, लाभार्थियों को उनके क्षेत्र में ग्रीन हाउस के निर्माण के लिए सहायता मिल सकती है। छायांकन जाल और कम सुरंग सामग्री की खरीद के लिए सहायता भी उपलब्ध है

वाणिज्यिक पुष्प कृषि की लोकप्रियता के लिए योजना

फूलों के क्षेत्र में वृद्धि करने के लिए और कृषि समुदाय की आय को बढ़ाने के लिए कहा जाता है कि योजना के तहत लाभार्थियों को रोपण सामग्री और इनपुट के रूप में प्रत्येक के 2 ग्लास के ग्लेडियोलस और मैरीगोल्ड जैसे फूलों का प्रदर्शन किया गया है।

विभाग की अन्य गतिविधियां

उपर्युक्त योजनाओं के अलावा, विभाग भी चल रहा है और लगभग 25 सरकार बनाए रखता है राज्य में विभिन्न स्थानों पर स्थित गार्डन और नर्सरी। इन नर्सरी में विभिन्न रोग मुक्त, वंशावली, टाइप करने योग्य फल पौधों का उत्पादन किया जा रहा है जहां से उत्पादक नाममात्र और सरकार में विभिन्न प्रजातियों के पौधों को खरीद सकते हैं। स्वीकृत दर विभाग राज्य में निजी नर्सरी भी पंजीकृत करता है। जिन उत्पादकों के पास अलग-अलग प्रजातियों के अलग-अलग मां पौधों की अपनी बागियां हैं और नर्सरी के उत्पादन कार्य शुरू करना चाहते हैं, उन्हें नर्सरी पंजीकरण अधिनियम के तहत विभाग से पंजीकृत अपनी नर्सरी मिल सकती है, जिसमें से आवेदन पत्र 2000 रुपये से अधिक के लाइसेंस शुल्क के साथ जमा कर सकते हैं।

बागवानी क्या है? (what is horticulture in hindi)

बागवानी (horticulture) एक तेजी से उभरता हुआ कृषि व्यवसाय है। बागवानी में मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, फूलों और फलों की खेती, चाय बागान आदि प्रमुख विषय हैं। बागवानी में संभावनाओं और उसके गुणवत्ता को बेहतर बनाने का कार्य किया जाता है। 

बागवानी शब्द की उत्पति ग्रीक के शब्दों से हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ है उद्यान की खेती। बागवानी में फलों, सब्जियों, मशरूम, कट फूलों, सजावटी फूलों और पौधों, मसालों, औषधियों फसलों का प्रमुख स्थान है जिससे किसान को फायदा होता है। बागवानी को भविष्य की खेती भी कहा जाता है जो किसानों आय के साथ-साथ जीवनस्तर में भी सुधार करता है।

 

बागवानी में है भविष्य (future in horticulture)

बागवानी एक ऐसी विधा है जिसमें बड़ी पूंजी की जरूरत नहीं होती है। इसकी शुरुआत एक छोटे निवेश से भी की जा सकती है। आप अपने छत से भी इसकी शुरुआत कर सकते है, निजी फॉर्महाउस, व्यावसायिक पौधशाला, आपका बगीचा एक आदर्श स्थान हो सकते है। 

फूलों की पैदावार बढ़ाकर, बीज का उत्पादन करके और सब्जियों की उपज बढ़ाकर, ग्रीन डेकोर आदि आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकते है। सजावटी गमलों में फूल आदि की मांग काफी बढ़ी है। आजकल अधिकतर सौंदर्य और गिफ्ट की दुकानों में इसकी चमक देखी जा सकती है। सजावटी फूल शीशे के पॉट में बहुत आकर्षक लगते है और इन्हें शांति के लिए भी उपयोग किया जाता है। जिसके कारण अधिकतर लोग इकोफ्रेंडली गिफ्ट और बुके को बढ़ावा दे रहे हैं।

बागवानी सुनने में जितना छोटा शब्द है लेकिन यह करोड़ों लोगों की जिंदगी बदल कर उनको लखपति बना रहा है। इसके फायदे और किफायत को देखते हुए अब बड़े बड़े प्रोफेशनल भी इस क्षेत्र में आ रहे है।

 

अभी हाल के दिनों में आईआईटी के एक छात्र ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव लौटकर अपनी बागवानी संभाली और सब्जियों की ऑनलाइन डिलीवरी करने का फैसला किया। इस व्यवसाय में कई युवा आगे आ रहे हैं और अपने करियर को इस क्षेत्र में आगे बढ़ा रहे हैं।

आपको बता दें, बागवानी (Horticulture) में तकनीक और मेहनत हमेशा से कमाल करती है। जरूरत है केवल किसान भाइयों को सही दिशा देने की। अब तो सरकार भी इस क्षेत्र में रुचि दिखाने लगी है और बागवानी और कृषि विश्वविद्यालयों में विधिवत इसकी तालीम दी जाती है। बागवानी से स्नातक परास्नातक और पीएचडी का पाठ्यक्रम बहुत मददगार सिद्ध हो रहे हैं।

आजकल अच्छी बात है कि विभिन्न कृषि विद्यालय अल्पकालीन प्रशिक्षण कार्यालय चलाकर उनके लिए कार्य कर रहे है। जिन्हें इस क्षेत्र में जल्द करियर बनाना है। वे इन विश्वविद्यालयों से पढ़ाई कर अपने भविष्य को अच्छी ऊंचाई दे सकते हैं।

बागवानी (Horticulture) के क्षेत्र में अवसर ही अवसर है।  बस पुराने मिथकों से नाता तोड़कर एक नए उन्नत तकनीक और ऊर्जा से काम करें। कृषि में केवल एक ही प्रकार या प्रजाति की बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जाता है, जबकि बागवानी अपने अंदर सभी प्रजातियों का विज्ञान समेटे है। पुष्प विज्ञान, सब्जी विज्ञान, फल विज्ञान, फल-सब्जी परीक्षण आदि विभाग कृषकों को भरपूर सुविधा के साथ गुणवत्ता का भी ध्यान देते हैं।

बागवानी है भविष्य की फसल (Horticulture is the crop of the future)

बागवानी (Horticulture) खेती वह शाखा है जिसके अन्तर्गत सभी प्रकार के सजावटी फूलों, खाने की सब्जियों, पौधों की खेती शामिल है। यह व्यावसायिक रूप से भी अति महत्वपूर्ण है। इसमें फायदे ही फायदे है। फल उगाने, उनके बीजों से मुनाफा कामना, फूलों से मुनाफा कामना और उसके साथ अन्य उत्पादों जैसे फूलों के सुगंधित इत्र, गजरे बुके सजावटी गमलों के द्वारा बहुत लाभ उठाया जा सकता है।

बागवानी (Horticulture) के फायदों के बारे में जानने के लिए एक उदाहरण देखिए अलंकृत बागवानी का। जैसे सांस लेने के लिए हवा जरूरी है, ठीक उसी प्रकार इंसानों के लिए वनस्पतियां जरूरी है। शोभायमान पेड़ पौधे, पौष्टिक सब्जियां भला किसका मन ना मोहे, इनका उपयोग तो जीवन में होना ही होना है।

सजावट के लिए शादी समारोहों, उद्घाटन समारोहों आदि में बिना गजरे और फूल के स्वागत संभव ही नहीं, आज कहीं भी कोई प्रोग्राम हो, उसमें फूल की आवश्यकता होती है। किसी अतिथि कि आवभगत भी इसके बिना पूर्ण नहीं। ऐसे में फूलों के व्यापार से एक बात साफ है कि इसमें घाटे के बहुत कम मौके है।

 

कैसे करें बागवानी? How to do Gardening?

बागवानी करना केवल शौकीनों का काम नहीं, बल्कि इससे कई फायदे है, प्रकृति के साथ जुड़ने का मौका, अच्छा मुनाफा, फिर भी अगर कोई बड़े स्तर पर बागवानी न करने का मन हो तो छोटे से भी शुरुआत किया जा सकता है। बागवानी करते वक्त कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाए तो बागबानी में निश्चित लाभ होगा।

किसी अनुभवी व्यक्ति से राय लें, वो कोई वनस्पति विज्ञान का जानकार हो सकता है, माली हो सकता है यहां तक की आपका कोई पड़ोसी भी हो सकता है। गांवों में अधिकतर माली घरों में फूल-गजरा आदि पहुंचाया करते हैं।

समय सीमा के अनुसार ही बागवानी का क्षेत्र चुनें, अधिक समय होने पर ही बड़े जगह की सोचें,  गमलों में मिट्टी के सबसे निचले सतह पर सूखी घास डाले या फिर खराब पत्ते भी डाल सकते है जिससे कि मिट्टी का उपजाऊपन बढ़े। अपने घर की बनावट पर विशेष ध्यान दें, बागबानी वहीं करें जहां ताजी हवा, ताजा पानी और सूर्य की रोशनी आसानी से पहुंच सके।साथ ही साथ अलग अलग वातावरण के लिए अलग फल फूल का चुनाव करें। 

उदाहरण के तौर पर गर्म और थोड़ी नमी वाले जगह पर केले की बागवानी और ठंडे जगहों पर सेब की बागबानी काफी फायदेमंद होती है।

प्रशिक्षण 

किसी भी चीज में प्रशिक्षण लेना उसकी कार्यकुशलता को गति देता है। फिर प्रशिक्षण बागबानी का हो तो कहना ही क्या। बागवानी करना अब केवल एक विशेष जाति का काम नहीं रह गया है। पहले के समय में माली और मालिन को इसका काम सौंपा गया था, मगर वक्त बदलने के साथ इसमें युवाओं की बढ़ती रुचि को देखते हुए कई ऐसे संस्थान हैं जिन्होंने इसमें प्रशिक्षण देना शुरू किया, बल्कि उनके लिए रोजगार के तमाम अवसर खोल दिए। इन प्रशिक्षण कार्यालयों में युवा लगातार आवेदन कर रहे है और अपने भविष्य की रूपरेखा तय कर रहे है।

 

प्रमुख संस्थान

  • देशभगत यूनिवर्सिटी, पंजाब
  • नालंदा कॉलेज ऑफ हार्टिकल्चर, नालंदा
  • श्रीराम कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, महाराष्ट
  • हार्टिकल्चरल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, तमिलनाडु
  • आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर
  • पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
  • राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB- National Horticulture Board) की स्थापना भारत सरकार द्वारा अप्रैल, 1984 में डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन, तत्कालीन सदस्य (कृषि), योजना आयोग, भारत सरकार की अध्यक्षता में ‘‘विनाशवान कृषि उत्पादों पर समूह’’ की सिफ़ारिशों के आधार पर की गई थी। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत है तथा इसका मुख्यालय गुरूग्राम में है।

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के बारे में अधिक जानकारी के लिए संस्थान की बेवसाइट www.nhb.gov.in पर विजिट कर सकते हैं.

बागवानी की चुनौतियां (Gardening Challenges)

हर क्षेत्र के कुछ फायदों के साथ साथ कुछ नुकसान भी होते है, बागबानी भले ही बहुत किफायती और लाभकारी विधि हो, लेकिन कभी कभी इसमें भी नुकसान और चुनौतियां का सामना करना पड़ता है, इसकी पहली चुनौती है कृषि के बदले कम तवज्जो मिलना।

सरकार किसानों के लिए जितने कार्य करती है अगर इतना ही ध्यान बागबानी के हिस्से में भी आए तो बात बन जाए। पिछले कुछ सालों के रिकॉर्ड बताते हैं कि सूखे के चलते या किसी और आपदा के कारण कृषि को काफी नुकसान उठना पड़ा लेकिन बागबानी को नहीं, क्यूंकि बागबानी अपने अंदर विविधता समेटे है। एक बार में विभिन्न तरीके के उपज तैयार करने से इसको कम नुकसान उठना पड़ता है। बजट भी इसकी एक मुख्य समस्या हैं जो इसके विकास में रुकावट है।

बागवानी में रोजगार (employment in horticulture)

एक विकासशील विधि होने के चलते बागवानी अपने साथ रोजगार के अवसर लेकर चलता है। बागबानी से उपजे फल फूल सब्जियां आदि का व्यवसाय करके किसान मालामाल हो रहे है। व्यक्ति किसी भी शिक्षा को आज रोजगार के मद्देनजर लेता है, डिग्री लेने के बाद किसी प्रतिष्ठित कॉलेज या स्कूल में पढ़ाना भी एक अच्छा रोजगार है, डिग्री के बाद व्यक्ति दूसरो को प्रशिक्षण देकर अपना निर्वाह कर सकता है,इसी तरह बहुत सारे रोजगार के अवसर बागबानी को नए युग का क्रांतिकारी क्षेत्र बनाते है।

इस क्षेत्र में भविष्य की चाह रखने वाले छात्रों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं। आप बागवानी उद्योग, सरकारी या शैक्षणिक संस्थानों या फिर निजी क्षेत्रों में भी प्रवेश कर सकते हैं। आप सरकारी क्षेत्र में पार्क, सार्वजनिक उद्यान, सरकारी लॉन आदि का रखरखाव कर सकते हैं। या फिर एक बागवानी निरीक्षक, फल और सब्जी निरीक्षक, कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण सहायक, जिला बागवानी अधिकारी/जिला कृषि अधिकारी, विपणन निरीक्षक, फार्म पर्यवेक्षक, अनुभाग अधिकारी और कृषि निरीक्षक के रूप में काम कर सकते है। 

यदि आप स्वरोजगार करना चाहते हैं तो फल−फूल, सब्जियां या फूल या फल उगाने के लिए हॉर्टिकल्चर फ़ार्म स्थापित करके बागवानी उद्यमी बन सकते हैं।

 

ये तो थी, बागवानी में भविष्य और संभावनाओं (Horticulture in Hindi) की बात। लेकिन, The Rural India पर आपको कृषि एवं मशीनीकरण, सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर भी कई महत्वपूर्ण ब्लॉग्स मिलेंगे, जिनको पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और दूसरों को भी इस लेख को शेयर करें।

 

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